बचपन में काफी दोस्त थे मेरे
जो हमेशा साथ रहते थे
बड़े प्यारे नाम थे उनके :
खेल, मासूमियत, समय और ख़ुशी
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
पढाई ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे ज्ञान दूंगी
पढाई बोली। ज्ञान के साथ
समझदारी और दुनियादारी भी आए।
दुनियादारी की दोस्ती से
मासूमियत ने मेरी कट्टी कर ली
खूब बुलाने पर भी
उसने एक न सुनी
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
ज़िम्मेदारी ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे आधार दूंगी
वो बोली। आधार के साथ
बोझ और मजबूरी भी आये
बोझ के तले दब कर
खेल ने दोस्ती तोड़ दी
मस्त चिड़िया की तरह
किसी और डाल पर उड़ चली
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
पैसे ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे शौहरत दूंगा
पैसा बोला। शौहरत के साथ
काम और नाम भी आये
शौहरत के पीछे भागते हुए
मुझसे ख़ुशी का हाथ छूट गया
नए दोस्तों की होड़ में
फिर एक पुराना यार बिछड़ गया
अब ज़िन्दगी के मायने बदल गए
एक दौड़ सी है, बेचैनी सी
किसने शुरू की, क्यों चलती है
अब कोई ये पूछता नहीं
सब कुछ तो है
फिरभी मानो कुछ नहीं
पैसा भी है शौहरत भी
पर ज़िन्दगी के लिए अब समय नहीं
जो हमेशा साथ रहते थे
बड़े प्यारे नाम थे उनके :
खेल, मासूमियत, समय और ख़ुशी
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
पढाई ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे ज्ञान दूंगी
पढाई बोली। ज्ञान के साथ
समझदारी और दुनियादारी भी आए।
दुनियादारी की दोस्ती से
मासूमियत ने मेरी कट्टी कर ली
खूब बुलाने पर भी
उसने एक न सुनी
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
ज़िम्मेदारी ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे आधार दूंगी
वो बोली। आधार के साथ
बोझ और मजबूरी भी आये
बोझ के तले दब कर
खेल ने दोस्ती तोड़ दी
मस्त चिड़िया की तरह
किसी और डाल पर उड़ चली
मैं बड़ा होता गया
नए दोस्त मिलते गए
पैसे ने हाथ बढ़ाया
कहा मुझसे दोस्ती करोगे ?
क्यों नहीं ? मैंने कहा
मैं तुम्हे शौहरत दूंगा
पैसा बोला। शौहरत के साथ
काम और नाम भी आये
शौहरत के पीछे भागते हुए
मुझसे ख़ुशी का हाथ छूट गया
नए दोस्तों की होड़ में
फिर एक पुराना यार बिछड़ गया
अब ज़िन्दगी के मायने बदल गए
एक दौड़ सी है, बेचैनी सी
किसने शुरू की, क्यों चलती है
अब कोई ये पूछता नहीं
सब कुछ तो है
फिरभी मानो कुछ नहीं
पैसा भी है शौहरत भी
पर ज़िन्दगी के लिए अब समय नहीं
Yaaraa! Tairey bus dil mai rabb hai, to yeh tairay charro yaar kya, tairey sath sabb hain! ♥ ed your poem! Bahut sundar pankteeya likhee Kamlesh, :-)
ReplyDeleteSuperb poem
ReplyDeletewow nice poem kamlesh
ReplyDeleteLife is like that. We have to come back
ReplyDeleteVery true Kamlesh
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