Friday, September 27, 2013

सूरज की लालीमा

या आसमान के तारे मुझसे नाराज़ हैं
या मैं शहरों की चकाचौन्द में कहीं खोया हूँ

या चाँद की चांदनी आज कुछ सहमी सी है
या पूनम की रात मैं आँखें मीचे सोया हूँ

या ढलते सूरज की लालीमा आज तेज़ है
या मैं खून के आंसू रोया हूँ 

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