Tuesday, March 10, 2015

लफ़्ज़ों के दम से

तारों ने सीखा टिमटिमाना तबसे
आसमां ने चुराई मेरी ग़ज़ल जबसे
चाँद को सूरज की अब ज़रुरत कहां
की रौशन है वो मेरे लफ़्ज़ों के दम से 

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