तेरे साथ गुज़री
पिछली होली के रंग
बहोत पक्के थे
तेरी हर याद
पिचकारी बनके
रोज़ मुझे
रंग जाती है
हर सोच का गुलाल
तेरी घनेरी ज़ुल्फ़ों की तरह
मुझपर रोज़
बिखर जाता है
आज पूनम के चांद में भी
सफेदी कम
और तेरे रंगों की लाली
ज़्यादा है
तेरी यादों के रंग
बहोत पक्के हैं
धोने से ये
मिटने वाले नहीं
इस होली में
बिना रंगे ही
मैं रंगा हूँ
बिन खेले ही
चंद दाग़ हैं
जिनसे
तेरी खुश्बू आती है
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