Tuesday, June 18, 2013

ज़मीन की खुशबू कुछ और है

चाँद तारों की कहाँ बात करता है ग़ालिब
पहले इस ज़मीन को प्यार करना तो सीखले 
दूर से तो हर कोई खूबसूरत लगता है 
जो है करीब उसे पहचानना तो सीखले 

चाँद की रौनक में मोहब्बत है ज़रूर 
पर ज़मीन की खुशबू कुछ और है 
तारों की चमक में सुकून है ज़रूर 
पर यहाँ हवा की कशिश कुछ और है 

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