Friday, September 27, 2013

चंद बातें हिंदी में

कोशिश तो की थी मैंने
पर कमबख्त दिल ने साथ ना दिया
जब खुदको ना दे पाया तो
मैंने तुझी को धोका दे दिया

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आँखें तो जुबां की सौतन होती हैं
की जुबां के हर राज़ सरेआम बयाँ करती हैं

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एक चाँद है जो उनसे रौशनी उधार लेता है
और एक वो हैं की चाँद को खूबसूरत कहते हैं

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हर पल में जीना तो हमने सीखा नहीं
पर पलों को नापती घड़ियाँ हम खूब बनाते हैं

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सूरज की लालीमा

या आसमान के तारे मुझसे नाराज़ हैं
या मैं शहरों की चकाचौन्द में कहीं खोया हूँ

या चाँद की चांदनी आज कुछ सहमी सी है
या पूनम की रात मैं आँखें मीचे सोया हूँ

या ढलते सूरज की लालीमा आज तेज़ है
या मैं खून के आंसू रोया हूँ 

Saturday, September 21, 2013

हर दिल में कमी क्यों है

चाँद तो है आसमां में
मगर चांदनी नहीं,
सूरज तो है गगन में
पर रौशनी नहीं,
फूल तो है बाग़ में
पर खुशबू नहीं,
हवा तो है हर तरफ
पर सांस नहीं,
दरिया भी है करीब में
पर प्यास नहीं,
बारिश तो हो रही है
पर हम भीगे नहीं,
प्यार तो है आस पास
पर उसका एहसास नहीं,
जी तो रहे हैं हम
पर ज़िन्दगी नहीं।

कुछ तो बात है
जो हम समझ पाए नहीं,
पास होने पर भी
हम खुदको पाए नहीं।

हर तरफ ये बोझ क्यों है?
हर हाथ में ज़ंजीर क्यों है?
हर आँख में नमी क्यों है?
हर दिल में कमी क्यों है?