Monday, October 28, 2013

एक कविता आज होनेको है

एक कविता आज होनेको थी
फिर वो कहीं अटक गई
पता नहीं कैसे थी आई
और कैसे यूहीं थम गई

शायद किसी फूल की खुशबू में खो गई
या फिर हवा के झोके में उड़ गई
शायद किसी बच्चे की हसी में घुल गई
या फिर बारिश की बूँद में भीग गई

शायद किसी जौहरी ने उसे तराश लिया
या कोई सुंदरी ने उसे हार समझ पहन लिया
शायद किसी संगीत के सुरों ने उसे पिरो लिया
या कोई चित्रकार ने उसे रंगों में डुबो दिया

मैंने ढूँढा उसे किरणों की धुप में
फिर टटोला उसे रात की चांदनी में
मैंने छाना उसे पेड़ की छाओं में
और खोजा उसे पंछियों के गान में

शायद छुपी थी वो अमीरी के महल में
या सिसकियाँ ले रही थी गरीबी की आह में
शायद झूमती थी वो सच्चाई के नाच में
या मरती थी वो फरेब की धीमी आंच में

मैं ढूंढता रहा उसे
जो हमेशा मुझे समेटे थी
मैं खोजता रहा उसे
जो मैंने कभी खोया ही नहीं

मेरी सोच की हर संधी में थी
और सांस की हर लय में है
एक कविता आज होनेको थी
एक कविता आज होनेको है 

Tuesday, October 15, 2013

खुदा से गुफ्तगू

अब शहर की चकाचौन्द रास नहीं आती
की आसमान में उसने तारे बिछाए हैं

अब उसके नाम की माला हाथों से नहीं होती
की साँसों की माला में सिमरूं मैं उसका नाम

अब इंसान की जुबां समझ नहीं आती
की हम तो खुदा से गुफ्तगू करते हैं 

Kidnapped?! In Dubai?!

My short play called 'Kidnapped?! In Dubai?!' that I wrote and directed for Short+Sweet Feb 2013. 
The play came second by People's choice and third by Judges choice in that evening of the performance that had 10 total plays.
Actors: Abhishek Mishra (Taxi driver), Elizabeth Hadaway Kapur (Passenger), Jessica Avedikian (Call center agent)
Duration : less than 9 mins 40 secs. 

https://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=U7XWCWMxu_4

Monday, October 07, 2013

नानी और नाती

एक नानी अपने नाती को चलना सिखा रही थी
बुढ़ापा बचपन को दिशा दे रहा था
ज्ञानी अज्ञानी का मार्गदर्शन कर रहा था
सूर्यास्त सूर्योदय को प्रकाश की परिभाषा सिखा रहा था

Wednesday, October 02, 2013

मैं

मदारी भी मैं हूँ
झमूरा भी मैं
डमरु भी मैं हूँ
खेला भी मैं
दर्शक भी मैं हूँ
प्रदर्शक भी मैं

तुम भी मैं हूँ
मैं भी मैं
अमर भी मैं हूँ
मरता भी मैं
खुदा भी मैं हूँ
शैतान भी मैं

ज़मीं भी मैं हूँ
आसमां भी मैं
हवा भी मैं हूँ
अंतरिक्ष भी मैं

कहता भी मैं हूँ
सुनता भी मैं
देखता भी मैं हूँ
दृश्य भी मैं

जो मैं हूँ
वो भी मैं हूँ
जो मैं नहीं
वो भी मैं