एक कविता आज होनेको थी
फिर वो कहीं अटक गई
पता नहीं कैसे थी आई
और कैसे यूहीं थम गई
शायद किसी फूल की खुशबू में खो गई
या फिर हवा के झोके में उड़ गई
शायद किसी बच्चे की हसी में घुल गई
या फिर बारिश की बूँद में भीग गई
शायद किसी जौहरी ने उसे तराश लिया
या कोई सुंदरी ने उसे हार समझ पहन लिया
शायद किसी संगीत के सुरों ने उसे पिरो लिया
या कोई चित्रकार ने उसे रंगों में डुबो दिया
मैंने ढूँढा उसे किरणों की धुप में
फिर टटोला उसे रात की चांदनी में
मैंने छाना उसे पेड़ की छाओं में
और खोजा उसे पंछियों के गान में
शायद छुपी थी वो अमीरी के महल में
या सिसकियाँ ले रही थी गरीबी की आह में
शायद झूमती थी वो सच्चाई के नाच में
या मरती थी वो फरेब की धीमी आंच में
मैं ढूंढता रहा उसे
जो हमेशा मुझे समेटे थी
मैं खोजता रहा उसे
जो मैंने कभी खोया ही नहीं
मेरी सोच की हर संधी में थी
और सांस की हर लय में है
एक कविता आज होनेको थी
एक कविता आज होनेको है
फिर वो कहीं अटक गई
पता नहीं कैसे थी आई
और कैसे यूहीं थम गई
शायद किसी फूल की खुशबू में खो गई
या फिर हवा के झोके में उड़ गई
शायद किसी बच्चे की हसी में घुल गई
या फिर बारिश की बूँद में भीग गई
शायद किसी जौहरी ने उसे तराश लिया
या कोई सुंदरी ने उसे हार समझ पहन लिया
शायद किसी संगीत के सुरों ने उसे पिरो लिया
या कोई चित्रकार ने उसे रंगों में डुबो दिया
मैंने ढूँढा उसे किरणों की धुप में
फिर टटोला उसे रात की चांदनी में
मैंने छाना उसे पेड़ की छाओं में
और खोजा उसे पंछियों के गान में
शायद छुपी थी वो अमीरी के महल में
या सिसकियाँ ले रही थी गरीबी की आह में
शायद झूमती थी वो सच्चाई के नाच में
या मरती थी वो फरेब की धीमी आंच में
मैं ढूंढता रहा उसे
जो हमेशा मुझे समेटे थी
मैं खोजता रहा उसे
जो मैंने कभी खोया ही नहीं
मेरी सोच की हर संधी में थी
और सांस की हर लय में है
एक कविता आज होनेको थी
एक कविता आज होनेको है